मुख्य पटल शिक्षक समूह नासिरुद्दीन हैदर खान

नासिरुद्दीन हैदर खान

एडजंक्ट प्रोफेसर

नासिरुद्दीन लगभग तीन दशकों से पेशेवर पत्रकार के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वीमेंस स्टडीज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की फिर नयी दिल्ली स्थित भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। मिस्र के अल-अजहर विश्वविद्यालय में उन्होंने इस्लाम और प्रजनन अधिकार पर शोध अध्ययन किया है।

बतौर पत्रकार उन्होंने अपना सफर ‘राष्ट्रीय सहारा’ से शुरू किया। लेकिन ज्यादातर पेशेवर अनुभव दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में काम करते अर्जित किया। वे आगरा में अखबार के सम्पादकीय प्रमुख रहे। दिल्ली में वे ‘क्वालिटी कंट्रोल एंड ट्रेनिंग’ के प्रमुख और 'लाइव हिन्दुस्तान' के सम्पादकीय प्रमुख रहे। ‘हिन्दुस्तान’ के लगभग सवा सौ संस्करणों के पत्रकारों के लिए शुरू किये गए प्रशिक्षण कार्यक्रम को उन्होंने नेतृत्व दिया। ग्रामीण स्तर से जिला स्तर तक के पत्रकारों को कम्प्यूटर और मोबाइल के माध्यम से पत्रकारिता के लिए भी प्रशिक्षित किया।

पिछले कुछ सालों से वे स्वतंत्र रूप से काम करते आए हैं। उन्होंने बीबीसी हिन्दी, नवजीवन, नैशनल हैरल्ड, हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स, प्रभात खबर, कैच न्यूज आदि के लिए भी लिखा है। इस वक़्त बीबीसी की ‘हमारी पुरखिन’ शृंखला से जुड़े हैं। मशहूर नारीवादी फ्लेविया एग्निस की आत्मकथा का अनुवाद (‘परवाज’) किया। युवकों/किशोरों को ध्यान में रखकर चार पुस्तकों की सीरीज लिखी है। उनका एक चर्चित अध्ययन है ‘मिथकों और भ्रांतियों को चुनौती: इस्लाम में महिला अधिकार की बात’। इस वक्त वे नारीवादी शिक्षाविद रुकैया सखावत हुसैन की रचनाओं का मूल बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद कर रहे हैं।

नासिरुद्दीन दस्तावेजी शोध के आधार पर कम्युनिकेशन पैकेज, पोस्टर डिजाइन और प्रदर्शनी तैयार करने में भी दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने गांधी जी के विचारों, मुसलमान स्त्रियों के हक बिहार में महिला आंदोलन, देश में सांस्कृतिक आंदोलन जैसे विषयों पर प्रदर्शनियाँ तैयार की हैं। उन्हें शोधपूर्ण लेखन के लिए अनेक फैलोशिप मिली हैं। इनमें एनएफ़आई मीडिया फैलोशिप, हैल्थ एंड पॉपुलेशन इन्नोवेशन फैलोशिप, पैनोस, लंदन की साउथ एशिया मीडिया फैलोशिप प्रमुख हैं।

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