राजेश जोशी

विज़िटिंग प्रोफ़ेसर

राजेश जोशी पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उन्होंने प्रिन्ट, ब्रॉडकास्ट और डिजिटल माध्यमों में पत्रकारिता की है। दिल्ली में 'जनसत्ता' में प्रशिक्षु पत्रकार के तौर पर पत्रकारिता शुरू की, फिर अंग्रेज़ी भाषा की पत्रिका आउटलुक में वरिष्ठ विशेष संवाददाता रहे। बाद में रेडियो और डिजिटल पत्रकारिता में विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाईं।

राजेश जोशी को 1999 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में फ़ैलोशिप के लिए चुना गया जहाँ वुल्फसन कॉलेज में उन्होंने प्रेस फैलो के रूप में ‘ब्रिटिश पुलिस में संस्थागत नस्लवाद’ विषय का विस्तृत अध्ययन किया। बाद में उनका शोधपत्र 'इकॉनामिक एंड पॉलिटिकल वीकली' में प्रकाशित हुआ।

2001 में उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में काम करना शुरू किया और लगभग एक दशक तक लंदन में बीबीसी हिन्दी रेडियो के मुख्य प्रस्तुतकर्ता रहे। साथ ही बीबीसी हिन्दी की डिजिटल टीम के सदस्य भी। भारत लौटकर उन्होंने 2013 में बीबीसी हिन्दी रेडियो के संपादक का कार्यभार सँभाला। इस दौरान लंदन और काठमांडू में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की सिंहला और नेपाली भाषाओं की टीम का भी नेतृत्व किया।

उन्हें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से बीबीसी के लिए रिपोर्टिंग करने का अनुभव है। ब्राजील में अमेजन के जंगलों से लेकर पश्चिम अफ्रीका, क्यूबा, यूरोप, अमरीका, ब्रिटेन और पाकिस्तान से राजेश ने कई महत्वपूर्ण खबरें कवर कीं। उन्होंने कई वर्षों तक जनसत्ता और आउटलुक पत्रिका के लिए भारतीय राजनीति, बिहार के जातीय नरसंहार, सांप्रदायिक दंगे, माओवादी आंदोलन और कश्मीरी अलगाववाद संबंधी ख़बरें कवर की। वे बस्तर के हथियारबंद भूमिगत माओवादियों के बीच जाकर भी रहे और आउटलुक पत्रिका में उन पर ग्राउंड रिपोर्ट की। साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने कारगिल और द्रास जाकर मोर्चे से रिपोर्टिंग की।

प्रिन्ट पत्रकारिता के दौरान राजेश जोशी ने कई खोजपूर्ण रिपोर्टें कीं जिनमें अपराध जगत से राजनीति के गठजोड़ पर कुछ खबरें बहुत चर्चित रहीं ।

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