मुख्य पटल विश्वविद्यालय के विभाग

विश्वविद्यालय के विभाग

मीडिया अध्ययन विभाग

पत्रकारिता संकाय के अधीन संचालित यह मीडिया अध्‍ययन विभाग प्रिंटी मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म्‍स के समग्र अध्‍ययन पर केंद्रित है और मीडिया की परंपरागत विधियों के साथ ही इसकीआधुनिक प्रवृत्तियों से भी पूरी तरह परिचित है। विभाग के अधीन विभिन्‍न पाठ्यक्रमों को इस प्रकार तैयार किया गया है कि विद्यार्थी प्रिंट मीडिया के साथ ही अन्‍य मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स के लिए भी अच्‍छे पेशेवर साबित हो सकें। मीडिया उद्योग के विभिन्‍न पहलुओं से विद्यार्थियों को रू-ब-रू करवाने के लिए विभाग के पास समृद्ध और व्यवस्थित पुस्‍तकालय है। इसके अलावा लेआउट और डिजाइनिंग के व्‍यावहारिक प्रशिक्षण सहित विभिन्‍न कार्यों को निष्‍पादित करने के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर से युक्‍त एक कंप्‍यूटर लैब भी है।

कक्षाएं व्‍याख्‍यान, प्रायोगिक कक्षाओं, कार्यशालाओं और पत्रका‍रीय प्रशिक्षण के रूप में आयोजित की जाती हैं।पाठ्यक्रम में पत्रकारिता का परिचय, प्रिंट पत्रकारिता, रेडियो पत्रकारिता, टीवी पत्रकारिता और ऑनलाइन पत्रकारिता जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं, ताकि विद्यार्थियों को मीडिया के हर प्‍लेट्फॉर्म पर कार्य करने के लिए तैयार किया जा सके। इससे विद्यार्थियों को पत्रकारिता की विभिन्‍न विधाओं में महारत हासिल करने में मदद मिलती है। संचार रणनीति, पत्रका‍रीय तकनीक के साथ ही भारतीय समाज के आधुनिक बहुलतावादी, बहु-प्रजातीय और बहु-सांस्‍कृतिक स्‍वरूप के अनुरूप पत्रकारिता पेशे के प्रति एक जिम्‍मेदाराना नजरिया विकसित करने में मदद करना है।

यह विभाग विद्यार्थियों को मीडिया तकनीक के उपयोग के साथ ही पत्रकारिता कौशल और मूल्‍यों के लिए भी सक्षम बनाता है। विभिन्‍न विषयों के ज्ञान को एक साथ लाने के दृष्टिकोण के साथ मीडिया अध्‍ययन विभाग विद्यार्थियों की नींव अच्‍छे पत्रकारिता संबंधी लेखन के लिए तैयार करता है। विद्यार्थी इंटर्नशिप के अलावा मीडिया पेशेवरों और विजिटिंग फैकल्‍टी के माध्‍यम से मीडिया उद्योग और मीडिया संगठनों से परिचित होते हैं। विद्यार्थियों को जिम्‍मेदारी उठाने के योग्‍य बनाया जाता है, ताकि वे अत्‍यधिक प्रतिस्‍पर्धी और चुनौतीपूर्ण मीडिया उद्योग में अपनी जगह बना सकें।

यह विभाग मीडिया उद्योग के विभिन्‍न पहलुओं से विद्यार्थियों को परिचित करवाते हुए विशेष तौर पर भारतीय संविधान के मूल्‍यों के प्रति समझ विकसित करने का लक्ष्‍य रखता है। यह विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और प्रशिक्षण से युक्‍त बनाता है, जो उनको एक बेहतरीन पत्रकार और भारतीय प्रिंट मीडिया का अभिन्‍न अंग बनाता है। हाल के वर्षों में प्रिंट मीडिया उद्योग नए और विभिन्‍न प्रयोगों से गुजर रहा है, जहां डिजिटल तकनीक का बड़े स्‍तर पर उपयोग हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मीडिया का परिदृश्‍य तेजी से बदला है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्‍य इन मूलभूत बदलावों के प्रति विद्यार्थियों को संवेदनशील बनाना भी है। परिणामस्‍वरूप, मीडिया मूल्‍यों, नागरिक अधिकारों, पर्यावरण संकट और वैज्ञानिक सोच विकसित करना इस पाठ्यक्रम के केंद्र में है। सैद्धान्तिक और व्‍यावहारिक प्रशिक्षण के मेल के जरिए विभाग विद्यार्थियों में प्रिंट मीडिया के इतिहास और वर्तमान में प्रिंट मीडिया के महत्त्‍व की गहरी और स्‍पष्‍ट समझ विकसित करना चाहता है।

मीडिया अध्‍ययन विभाग का उद्देश्‍य विवि‍ध प्रकार के मीडिया लेखन का बेहतरीन प्रशिक्षण केंद्र बनना है। इससे विद्यार्थियों को मीडिया के हर क्षेत्र में रोज़गार के अवसर ढूंढ़ने में मदद मिलेगी। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद विद्यार्थी समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में अवसर हासिल कर सकते हैं। न्‍यूज पोर्टल्‍स और अन्‍य मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स पर भी उनके लिए विपुल अवसर हैं। मीडिया में कार्यरत ऐसे पेशेवरों के लिए विभाग डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है, जो अपने भाषा और तकनीकी कौशल में सुधार करना चाहते हैं। विभाग पीएच-डी पाठ्यक्रम भी संचालित करता है, जिसका उद्देश्‍य मीडिया शोध का बेहतरीन केंद्र बनना है। मीडिया उद्योग और अकादमिक दोनों ही क्षेत्रों में मीडिया शोध का महत्त्व तेजी से बढ़ा है। मीडिया उद्योग में शोध की अपार संभावनाएं हैं। हमारा उद्देश्‍य विद्यार्थियों में शोध के प्रति उचित नजरिया विकसित करना भी है।

विभागाध्यक्ष :

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वर्तमान में समाचारों और सूचनाओं के प्रसार के अत्याधुनिक साधन के रूप मे अपनी जगह बना चुका है। ब्रॉडकास्ट उद्योग की तेज रफ्तार, टेलीविजन चैनलों की बढ़ती संख्या, एफएम, पॉडकास्ट और रेडियो यूट्यूब चैनलों आदि के विस्तार ने इस क्षेत्र में रोजगार ने नए अवसर पैदा किए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही वर्ष 2019 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग की स्थापना की गई।

विभाग का उद्देश्य स्नातक और स्नातकोत्तर में शिक्षण और प्रशिक्षण में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का संपूर्ण ज्ञान प्रदान करना है। ब्रॉडकास्ट उद्योग की आवश्यकताओं के मुताबिक विद्यार्थियों को रेडियो और टेलीविजन के सभी आयामों से परिचित कराना और ऐसे पेशवर तैयार करना है जो तेजी से बढ़ते इस उद्योग में बड़ी भूमिका निभा सकें।

विभाग के अनुभवी एवं सुयोग्य प्राध्यापकों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्षेत्र के अकादमिक एवं मीडिया पेशेवरों द्वारा यहाँ समय-समय पर संगोष्ठी और विशेष व्याख्यान का आयोजन किया जाता है ।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग में ऑडियो और वीडियो संपादन सॉफ्टवेयर पर छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए सुसज्जित कंप्यूटर लैब है। लैब में इंटरनेट के साथ ही आवश्यक सॉफ़्टवेयरों के नवीनतम संस्करण भी उपलब्ध हैं।

विभाग के स्टूडियो में समय समय पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विभिन्न प्रारूपों के लिए लेखन, फोटो जर्नलिज़्म, वृत्तचित्र निर्माण, वीडियो संपादन, ऑडियो सम्पादन, लाइट-निर्देशन, लघु फिल्म निर्माण का व्यावहारिक ज्ञान और प्रशिक्षण दिया जाता है।

विद्यार्थियों को देश विदेश के प्रतिष्ठित और प्रख्यात फिल्मकारों की फीचर और लघु फिल्मों से परिचित कराने के लिए विश्वविद्यालय में एक फिल्म क्लब की स्थापना भी की जा रही है, जिससे वे फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझ सकेंगे।

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए समय-समय पर सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन भी किए जाते हैं । मीडियाफ़ेस्ट के अलावा उन्हें अन्य विश्वविद्यालय की नृत्य कला, पोस्टर मेकिंग, क्विज, पेंटिंग प्रतियोगिता इत्यादि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे उनकी रचनात्मकता का विकास हो साथ ही अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए मंच प्रदान मिल सके।

संस्थान में जनसंचार के सभी क्षेत्रों पर नवीनतम पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं के संग्रह के साथ एक समृद्ध पुस्तकालय है। विश्वविद्यालय की गतिविधियों, विशेष व्याख्यानों, संगोष्ठियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि को विभाग के विद्यार्थियों द्वारा (फोटोग्राफ और वीडियो रिकॉर्डिंग आदि के जरिए) संरक्षित किया जाता है, जिससे अभ्यास में उपयोगी हों और भावी छात्रों के भी काम आएं।

विभाग एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने की योजना भी बना रहा है। इससे विद्यार्थी रेडियो का व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे। यह रेडियो स्टेशन हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित करेगा। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नियमित कक्षाओं के साथ-साथ वैबसाइट पर ई- कंटेन्ट भी उपलब्ध कराऐ जाते हैं ।

विद्यार्थियों को व्यावहारिक रूप में सुदृढ़ करने और पेशेवर सोच विकसित करने के लिए उनकी क्षमता के अनुसार प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में इंटर्नशिप पर भेजा जाता है, जिससे वे अपनी कमियों को दूर कर क्षमता का विकास कर सकें ।

शिक्षा प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी रिपोर्टर, कैमरापर्सन, प्रोड्यूसर, ऐंकर, वीजे, आरजे, वीडियो संपादक, लाइटनिर्देशक, फोटो जर्नलिस्ट, न्यूजरीडर इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों मे अपना कॅरियर बना सकते हैं।

विभागाध्यक्ष:

मीडिया संगठन और जनसम्पर्क विभाग

मीडिया का संगठनात्मक ढाँचा, उसमें व्यवहारपरक पैटर्न, जनसम्पर्क, कॉर्पोरेट संचार, विज्ञापन आदि मीडिया अध्ययन के महत्त्वपूर्ण आयाम हैं । इनकी अकादमिक समझ और व्यावसायिक दक्षता विकसित कराने के लिए विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के साथ ही मीडिया संगठन, विज्ञापन और जनसम्पर्क विभाग का गठन किया है । अपने पाठ्यक्रमों के जरिऐ विद्यार्थियों को मीडिया-संगठन की बारीकियों से परिचित कराते हुए विभाग उनमें प्रबंधकीय, व्यवहारपरक और संप्रेषणीय दक्षता विकसित करने के लिए प्रयासरत है। पहले ही सत्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करने के बाद इस सत्र से स्नातक पाठ्यक्रम में इससे संबंधित विषय शामिल किए गए हैं ।

विद्यार्थियों के लिए मीडिया, मनोरंजन और विज्ञापन के बीच के संबंध को समझना महत्त्वपूर्ण है। हम अपने विद्यार्थियों को सर्वांगीण पेशेवर बनाना चाहते हैं। वे विभिन्न मीडिया संगठनों, उनकी संरचना, स्वामित्व, राजस्व के मॉडल और मीडिया से संबंधित नैतिक मुद्दों आदि के प्रति जागरूक बनें। वे सामाजिक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे सामाजिक-आर्थिक स्थिति, लैंगिक संवेदनशीलता, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण संचार, सामाजिक गतिशीलता आदि को भी समझें। इससे उनमें आलोचनात्मक समझ और संवेदनशीलता विकसित होगी।

विद्यार्थियों के लेखन कौशल को बेहतर बनाने के लिए हम विशेषज्ञों का एक समूह तय कर रहे हैं जो मीडियाकार्मियों, पेशे के लोगों, जानकारों और शिक्षकों का एक विशेष संयोजन होगा। ये विशेषज्ञ विद्यार्थियों को उन बारीकियों से अवगत कराएंगे जो कॉपी लेखन और पीआर लेखन आदि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इस निमित्त उन्हें मौखिक और साथ ही गैर-मौखिक प्रस्तुति विधाओं के बारे में भी पढ़ाया जाएगा, जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा।

विज्ञापन की रचनात्मक दुनिया में दृश्य-विधान यानी विजुअलाजेशन के महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। विजुअल स्टोरी टैलिंग को जनसम्पर्क का एक महत्त्वपूर्ण उपकरण माना जाता है। हमारे कंप्यूटर लैब में ग्राफ़िक डिज़ाइन और एडिटिंग सॉफ़्टवेयर उपलब्ध भी हैं। विद्यार्थी विज़ुअलाइज़ेशन तकनीक को प्रयोग में लाते हुए इन ग्राफ़िक डिज़ाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग करना सीखेंगे।

विश्वविद्यालय के स्टूडियो के जरिऐ विद्यार्थियों को प्रोडक्शन और संपादन के तकनीकी पहलुओं से परिचित कराया जाएगा। विद्यार्थी स्क्रिप्ट लेखन, फोटोग्राफी की मूल अवधारणा, कैमरा तकनीक, ऑडियो रिकॉर्डिंग, मिश्रण, संपादन आदि सीखेंगे।

किसी भी विभाग को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अपनी सीमाओं का विस्तार करना पड़ता है। भविष्य में विभाग विज्ञापन और जनसम्पर्क के क्षेत्र में और नए पाठ्यक्रम लेकर आएगा, जो न केवल विद्यार्थियों के लिए होंगे बल्कि उन पेशेवर लोगों के लिए भी उपयोगी होंगे, जो मीडिया उद्योग में काम करते हुए अपने मौजूदा ज्ञान और कौशल को और बढ़ाना चाहते हैं ।

इसके निमित्त हम कॉपी राइटिंग / क्रिएटिव राइटिंग, मीडिया ऑर्गनाइजेशन एंड प्लानिंग, क्लाइंट सर्विसिंग, विजुअल कम्युनिकेशन, पीआर स्किल्स, ब्रांड कम्युनिकेशन, कैंपेन प्लानिंग आदि के आधार पर लघुपाठ्यक्रम तैयार करेंगे। हमारा विभाग कार्यशाला, संगोष्ठी आदि का आयोजन करके अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है।

विज्ञापन-क्लब स्थापित करना भी विभाग के मुख्य लक्ष्यों में से एक है, जो सभी को विमर्श का एक खुला मंच प्रदान करेगा । यह विज्ञापन-क्लब क्षेत्र के पेशेवरों का एक नेटवर्क बनाने में मदद करेगा और इस प्रकार छात्रों को पेशेवर दुनिया को देखने का मौका मिलेगा। विभाग के तहत पीआर लैब की भी स्थापना की जाएगी जो विद्यार्थी को अपने ज्ञान को कौशल से एकीकृत करने में मदद करेगा । इसमें विद्यार्थी मॉक प्रेस कॉन्फ्रेंस, सिमुलेशन गतिविधियों आदि के माध्यम से पीआर उपकरणों और कौशल के व्यावहारिक पहलुओं को सीखेंगे। विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए इंटर्नशिप के लिए भेजा जाएगा। इंटर्नशिप के दौरान वे मीडिया के विविध क्षेत्रों की जरूरतों को समझेंगे और तदनुसार अपनी क्षमता का विस्तार करेंगे।

विभाग के तहत ऑडियो-विजुअल लाइब्रेरी स्थापित करने की योजना भी है, जो लोकप्रिय और पुरस्कृत विज्ञापन और जनसम्पर्क अभियानों का एक विस्तृत संग्रह होगा। अवलोकन और गहन विश्लेषण के माध्यम से विद्यार्थी इन अभियानों का निर्माण करना सीखेंगे।

विभाग से शिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यार्थियों के लिए विज्ञापन, मीडिया प्रबंधन और जनसम्पर्क के क्षेत्र में रोजगार के कई विकल्प उपलब्ध होंगे। मीडिया प्लानर, एडवरटाइजिंग मैनेजर, कॉपीराइटर, क्लाइंट सर्विसिंग एग्जीक्यूटिव, क्रिएटिव डायरेक्टर, पीआर ऑफिसर, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन मैनेजर, पीआर कंसल्टेंट, ऑनलाइन ब्रांड स्ट्रैटेजिस्ट विद्यार्थियोंके लिए रोजगार के कुछ प्रमुख अवसर हैं।

विभागाध्यक्ष:

नव मीडिया विभाग

समकालीन दौर को सूचना समाज के रूप में भी चिह्नित किया जाने लगा है और यह सूचना समाज जिस मीडिया प्रौद्योगिकी से निर्मित होता है, वह नया मीडिया है। नवतर मीडिया की सामग्री (कंटेंट) का निर्माण, प्रसारण और उपभोग डिजिटल तकनीक और इंटरनेट की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस नए मीडिया की प्रमुख विशेषता है अभिसरण (कन्वर्जेन्स)। मीडिया अभिसरण के इस दौर में डिजिटल प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ने जैसे सभी संचार माध्यमों को अपने भीतर समाहित कर लिया है। माध्यम जनित विशिष्टताओं के साथ-साथ इसने समकालीन राजनीति, समाज, कला और संस्कृति में नई हलचल पैदा की है और वाणिज्य और व्यापार के तौर-तरीकों को भी गहरे प्रभावित किया है।

इस नए मीडिया के विकास-क्रम, स्वरूप और व्यवहार को समझकर ही इसके लिए बेहतर कौशल अर्जित किया जा सकता है और इससे जुड़े विमर्श में योगदान किया जा सकता है। नवतर मीडिया के दो प्रमुख स्तंभों ऑनलाइन अथवा वैब पत्रकारिता और सोशल मीडिया का एक सुगठित और सुचिंतित अकादमिक परिवेश में अध्ययन किए जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय में नव मीडिया विभाग की स्थापना की गई है।

इस विभाग के गठन के जरिऐ हमारी कोशिश है कि इसे नव मीडिया संचार, ऑनलाइन पत्रकारिता, सोशल मीडिया और साइबर संस्कृति के विभिन्न आयामों के न सिर्फ परिचयात्मक और पेशेवर अध्ययन बल्कि गंभीर अकादमिक विमर्श के केंद्र के रूप में भी विकसित करें।

इस विभाग के अंतर्गत ऑनलाइन वैब पत्रकारिता की मल्टी मीडिया प्रवृत्तियों और प्रस्तुति से जुड़े बदलावों को रेखांकित करते हुए विभागीय पाठ्यक्रमों का निर्माण किया गया है। विश्वविद्यालय के स्थापना वर्ष में सोशल मीडिया एवं ऑनलाइन पत्रकारिता में डिप्लोमा पाठ्य योजना प्रारंभ की गई थी। विद्यार्थियों के बीच इसकी लोकप्रियता और पेशेवर प्रासंगिकता को देखते हुए इस वर्ष से सोशल मीडिया एवं ऑनलाइन पत्रकारिता में स्नातकोत्तर पाठ्य-योजना शुरू की जा रही है।

नए मीडिया पर्यावरण में आए दिन कुछ नया जुड़ रहा है- नया सोशल नैटवर्क, नई वैबसाइट, नया चैनल, नया ऐप या किसी नए डिजिटल टूल या नई प्रौद्योगिकी का आविष्कार। हम अंदाजा ही लगा सकते हैं कि भविष्य में डिजिटल मीडिया का क्या स्वरूप होगा। ये कितना गत्यात्मक और बहुआयामी होगा और निजी संचार से लेकर जनसंचार तक में इसकी उपस्थिति और भूमिका कितनी प्रभावशाली होगी। विभाग का प्रयास है कि उद्योग जगत में हो रहे नवाचारों के अनुरूप नियमित रूप से संसाधनों और पाठ्यक्रमों को अद्यतन बनाया जाए। नए मीडिया की सांगठनिक, प्रबंधन और पेशेगत आवश्यकताओं और मीडिया उत्पादन और मीडिया प्रसारण में भावी संभावनाओं को देखते हुए ये विभाग और भी नयी पाठ्य योजनाएं संचालित करने की संभावनाओं पर विचार कर सकता है।

नव मीडिया की राजनीतिक- आर्थिक और सामाजिक विमर्श के लिए जगह और साइबर संस्कृति के बारे में समालोचनात्मक परिप्रेक्ष्य का निर्माण भी इस विभाग का उद्देश्य है। इसलिए विभाग अंतर-विषयक दृष्टि में विश्वास करता है। विभाग उद्योग और अकादमिक समन्वय के सिद्धांत को अमल में लाने के लिए पेशेवर और विषय विशेषज्ञों को समय-समय पर विद्यार्थियों से रूबरू कराने के लिए प्रयासरत रहेगा। विभाग का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि वो इस क्षेत्र में शोध के इच्छुक विद्यार्थियों को समुचित पाठ्य-सामग्री, दृष्टिबोध और शोध पर्यावरण मुहैया कराने में मददगार हो।

विभागाध्यक्ष:

विकास-संचार विभाग

सतत विकास के उद्देश्य को हासिल करने के लिए विकास के क्षेत्र में बहुआयामी संचार बहुत महत्त्व रखता है। पिछले कुछ विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जनमाध्यमों—टेलीविजन, अखबार, रेडियो और अब इंटरनेट आदि—की जरूरत और उन पर निर्भरता भी बढ़ी है। विकास के वैकल्पिक विमर्श को तरजीह दी जाने लगी है। विकास के पैमाने जहाँ बदल रहे हैं, वहीं विकास में स्थानीयता और सामुदायिक हितों को भी प्राथमिकता दी जाने लगी है।

हमारे विश्वविद्यालय में संचालित विकास-संचार विभाग का उद्देश्य विकास की सैद्धांतिकी और इसके व्यावहारिक पहलुओं के बीच एक संवाद बनाना है। स्थानीय जरूरतों और विकास के नियोजन के प्रति सभी हितधारकों को संवेदनशील बनाना है। हमारे विभाग से शिक्षित-प्रशिक्षित विद्यार्थी इस कड़ी का एक अनिवार्य माध्यम होंगे।

भारी औद्योगिकीकरण ही विकास का एकमात्र पैमाना नहीं हो सकता। सत्तर के दशक में शुरू हुए विकास के वैकल्पिक प्रयासों ने एक नए क्षितिज का निर्माण किया, जिसमें प्रभुत्त्वशाली संरचना को चुनौती दी गई। एक बेहतर भविष्य के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान को नए सिरे से जाँचा परखा गया। सामाजिक रूपांतरण में संचार की एक नई भूमिका की परिकल्पना की जाने लगी।

विकास संचार में विभिन्न सैद्धांतिक दृष्टियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करने का हुनर विकसित किया जाता है। विभाग में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को विभिन्न दृश्य-श्रव्य माध्यमों का इस्तेमाल करने में दक्ष बनाया जाएगा। साथ ही विकास के नियोजन में उनके मौलिक सोच को लागू करने की प्रविधि विकसित की जाएगी।

इस विभाग में विद्यार्थियों को ख़ासतौर से विकास आधारित मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाने की प्रविधि सिखाई जाएगी। इसके अतिरिक्त ग्लोबल वॉर्मिंग, गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, नई अर्थव्यवस्था आदि मुद्दों की गहन समझ साझा की जाएगी। सामुदायिक विकास में संचार के महत्त्व से उन्हें अवगत कराया जाएगा ताकि वे स्थानीय विकास की जरूरतों से जुड़ सकें। विद्यार्थी नीति-निर्धारण में दक्ष हो सकें और विकास के क्षेत्र में कुछ बुनियादी योगदान दे सकें, इसके लिए भी उन्हें तैयार किया जाएगा।

विभाग में विकास संचार संबंधी विशेष व्याख्यानों का आयोजन किया जाएगा जिसमें इस क्षेत्र के विशेषज्ञ, विकास योजनाओं को अमल में लाने वाले नौकरशाह, गैर-सरकारी संगठनों के नियोजनकर्ता और पत्रकार शामिल होंगे। ये विशेष व्याख्यान विद्यार्थियों को विकास संचार के क्षेत्र में अनुकरणीय कदम उठाने के लिए प्रेरित करेंगे।

इस विभाग का शोध कार्य उल्लेखनीय होगा। विकास से संबंधित विभिन्न शोध परियोजनाओं को मूर्त रूप देने और व्यावहारिक समस्याओं के प्रति निर्णायक परिणाम हासिल करने के लिहाज से शोध परियोजनाओं का स्वरूप निर्धारित किया जाएगा। विभिन्न अकादमिक संस्थाओं और सरकारी क्षेत्रों के लिए ऐसी नवोन्मेषी शोध परियोजनाएँ परिकल्पित की जाएँगी, जो समुदाय, गाँव और शहर के स्तर पर जरूरी समाधान का संधान कर सकें। शोध परियोजनाएँ विभाग के स्तर पर भी संचालित होंगी जिसमें शोधार्थियों को अहम अवसर मिलेगा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और संरचना की संपूर्ण जानकारी देने के लिए विद्यार्थियों को विभाग की तरफ से गाँव का भ्रमण भी कराया जाएगा। इस क्रम में राजस्थान के गाँवों पर विशेष दृष्टि होगी। ग्राम-स्वराज, पंचायती राज, सूचना के अधिकार आदि की प्रक्रियाओं और प्रारूप को समझने पर ज़ोर होगा। विद्यार्थियों को ग्रामीण जरूरतों और स्वायत्तता की महत्ता को रेखांकित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

विकास-संचार में विकास परियोजनाओं की समीक्षा करना एक अहम दायित्त्व है। इस लिहाज से विद्यार्थियों को विभिन्न विकास परियोजनाओं की जरूरत और उनके क्रियान्वयन में बाधाओं से निपटने के लिए संचार की भूमिका के आलोचनात्मक परीक्षण शिक्षा भी दी जाएगी।

विभागाध्यक्ष: